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शनिवार, 27 फ़रवरी 2010

होली के शुभ अवसर पर शुभकामनाएं तथा एक सन्देश

खून की होली मत खेलोप्यार के रंग मे रंग जाओ.जात-पात के रंग न घोलोमानवता मे रंग जाओ.भूख-गरीबी का दहन करोभाई चारे मे रंग जाओ.अहंकार की होली जलाकरविनम्रता मे रंग जाओ.ऊँच-नीच का भेद खत्म करआओ गले से मील जाओ.होली पर्व का यही संदेशादेश प्रेम मे रंग जाओ.प्रस्तुति-- डाo कीर्ति वर...

पिचकारी के तीर------[दोहे]------ डाo श्याम गुप्त

लकुटि लिये सखियाँ खडीं, बदला आज चुकायं .|सुधि बुधि भूलें श्याम जब सम्मुख आ मुसुकायं | १आज न मुरलीधर बचें, राधा मन मुसुकायं|दौड़ी सुध बुध भूलि कर , मुरली दई बजाय ||२ भ्रकुटि तानि बरजे सुमुखि, मन ही मन ललचाय |पिचकारी ते श्याम की,तन मन सब रंगि जाय ||३रंग भरी पिचकारि ते, वे छोड़ें रंग धार |वे घूंघट की ओट ते, करें नैन के वार || ४भरि पिचकारी सखी पर, वे रंग बान चलायं |लौटें नैनन बान भय, स्वयं सखा रंगि जायं ||५गोरे गोरे अंग पर,चटख चढ़े हैं रंग |रंगीले आँचल उड़ें, जैसे नवल पतंग || ६चेहरे सारे पुत गए, चढ़े सयाने रंग |समझ नहीं आवे कछू ,को सजनी को कंत...