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मंगलवार, 25 मई 2010

बच्चों की प्रतिभा दिखाने का सबसे अच्छा माध्यम है इटंर नेट.........(बाल साहित्य).....मोनिका गुप्ता

जी हाँ, आजकल नेट का क्रेज लोगो मे बहुत ज्यादा हो रहा है खासकर बच्चे तो इसे बहुत पसंद करने लगे है क्या कुछ नही है इस पिटारे मे. चंद सैकिंडो मे दुनिया सामने होती है. अब अगर आप यह सोचने लगे कि इसमे अच्छाईयाँ कम और बुराईया ज्यादा है क्योकि इसके आने के बाद से बच्चे बिगडने लगे हैं. गलत गलत साईट देखते हैं तो मै यह जानना चाहती हूँ कि इसका मतलब तो यह हुआ कि इंटर नेट के आने से पहले बच्चे बिगडते ही नही थे. गाय बने चुपचाप बैठे रहते थे. तब भी आपका जवाब ना मे ही होगा.तो आखिर आप चाहते क्या है ...... अगर हर बात मे नकारात्मक सोच रखेगे तो नतीजे भी वैसे ही...

बचपन ************* {कविता} ********* सन्तोष कुमार "प्यासा"

आनंद की लहरों में हिलोरें खाने वाला जीवन मानव का प्राकृतिक से होता है पहला मिलन ना गृहस्थी का भार ना जमाने का फिक्र , ना खाने कमाने का फिक्र निश्चिन्तता के आँगन में विचरता है बचपन प्राकृतिक की गोद में बैठता जब वह  सुकुमार  पड़ी रहती कदमों में उसके  खुशियाँ अपार होता है वह अपने बचपन का विक्रम दूर रहतें है उससे ज़माने के सारे भ्रम न देता वह ख़ुद को कभी झूठी दिलाशा ना रहता कभी वह किसी चाहत और खुशी का "प्यासा" ***********************************************...