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शनिवार, 11 अप्रैल 2009

साहित्य जगत को नया आयाम दिया विष्णु प्रभाकर जी ने

हिन्दी साहित्य के जाने माने साहित्यकार विष्णु प्रभाकर जी का निधन साहित्य प्रेमियों के लिए गहरा झटका है । प्रभाकर जी ९७ वर्ष के थे । एनसीआरटी के १० कक्षा की पुस्तक में उन्हें पहले ही मार दिया था ( यह बाद केदार नाथ की बेटी " संध्या सिंह " से पता चली जब सुबह शैलेश जी ने उनका फोन नं जुगाड़ कर बात की जब ९५ वर्ष के थे तभी ) ।विष्णु प्रभाकर जी का जन्म १२ जनवरी १९१२ को मुजफ्फरनगर जिले के मीरा पुर गांव में हुआ । परिवार में मां एक शिक्षक थी जिससे माहौल साहित्य से जुड़ा रहा । प्रभाकर जी हिन्दी में प्राभकर और हिन्दी भूषण की शिक्षा ली । और अंग्रेजी में स्नातक...

कविता

बेटी की चिन्ताजब वो तितली सी उडतीचिडिया सी चहकतीहिरणी सी भागती मोरनी सी भागतीउसे देख मन मे हलचल मच जातीउसकी सुरक्षा की चिन्ता सतातीक्योंकिअब बच्चियां शहर मे सुरक्षित नहीं हैंनारी भक्षी दानवहर गली चौराहे पर मंडरा रहे हैंअपनी हबस का शिकार बना रहे हैंसोचती हूँ भेज दूँइसे किसी जंगल मेवहाँ न सडकें होंगीनासडक पर मज़नू होंगेवहाँ जानवरों मे रह कर इतना तो सीख जायेगीजानवर रूपी इन्सान सेअपनी रक्षा तो कर पायेगी!वर्नाशहर मे पढ लिख करतंदूर मे फेंक दी जायेगीया दहेज की बली चढ जायेगीबच भी गयी तो मेरी तरहबेटी की चिन्ता मे मर जायेगीआपका क्या कहना है? ...