
डाल कर कुछ नीर की बूंदे अधर मेंकर अकेला ही विदा अज्ञात सफ़र मेंकुछ नेह मिश्रित अश्रु के कतरे बहाकरसंबंधों से अपने सब बंधन छूटाकर बाँध तन को कुछ हाथ लम्बी चीर मेंडूबकर स्वजन क्षणिक विछोह पीर मेंतन तेरा करके हवन को समर्पितकुछ परम्परागत श्रद्धा सुमन करके अर्पितधीरे -धीरे छवि तक तेरी भूल जायेंगेकाल का ऐसा भी एक दिवस आएगाआत्मीय भी नाम तेरा भूल जायेंगेसाथ केवल कर्म होंगे, माया न होगीसम्बन्धी क्या संग अपनी छाया न होगीबस प्रतिक्रियायें जग की तेरे...