सभ्यता और संस्कृति के विकास का आरंभ परिवारसंस्था के साथ जोड़ा जा सकता है । पौराणिक और आध्यात्मिक दृष्टि से इसके उद् भव की जो भी गाथायें या कारण हैं, समाज शास्त्रीय दृष्टि से मनुष्य के भीतर जन्मे सहयोग और अनुराग को परिवार का आधार कहा जाता है । सहयोग और सदभाव का जन्म ना होता तो न स्त्री-पुरुष साथ रहते , न संतानों का जिम्मेदारी से पालन होता और न ही इस तरह बनं कुटुंब के निर्वाह के लिए विशिष्ट उद्दम करते बनता । बच्चो को जन्म और प्राणी भी देते है । एक अवस्था तक वे साथ रहते हैं और अपना आहार खुद लेने लायक स्थिति में पहुचने पर अपने आप अलग हो जाते हैं ,...