हर ओर है आज दंगा, अत्याचार मचा,माराकाटी के इस दौर से कोई नहीं बचा,डरता हूँ मैं इस खूनी दौर से बहुत,भाग कर इस दौर से ऐ दिल कहीं और चलें।.नहीं जहाँ में चैन न अमन ही रहा,मानव अब तो अपने साये से डर रहा,कत्ल न कर दे कहीं खुद हमारा साया,डर से कत्ल होने के ऐ दिल कहीं और चलें।.लुट गये खजाने खुशियों के हम सभी के,छीन ले गये हर खुशी दामन से हमारे,गमगीन माहौल में जीना लगता है मुश्किल,खुशी एक पल की पाने ऐ दिल कहीं और चलें।.बसेगा कब चमन खुशहाली का यहाँ,मिटाकर अँधेरा कब उजाला फैलेगा यहाँ,चाह है एक सुन्दर शांतिमय संसार की,जहाँ प्यारा सा बसाने ऐ दिल कहीं और चल...