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बुधवार, 28 मार्च 2012

लकीर (कविता)---सुजाता सक्सेना

मैंइकलकीरबनाती अगरहोती हाथमेरे कलम,समां देती उसमेअपनेसारे सपनेऔर आशाओं के महल !इस सिरे सेउस सिरे तक -लिख देतीनाम तुम्हारेजीवन की हर इक लहर !पर एक ख्यालभर रह गया जेहन में ये मेरे -समझ गईअब इनटूटते -टकराते -किनारोंसे में किन इकलकीर मेंसमाते हैंसपने, औरन हीकलम बनातीहै कोई ऐसीलकीर...

विनोबा का भूदान और आज का भारत----(कन्हैया त्रिपाठी)

गांधी के सच्चे लोगों में विनोबा भावे एक ऐसा नाम है जो वास्तव में गांधी जी के कार्यों को भली प्रकार उनकी मृत्यु के बाद आगे ले गए। विनोबा ने अपने समय के उन मूल्यों और आध्यात्मिक पहलुओं पर विचार किया जो किसी गांधीवादी और सच्चे समाज सेवक के लिए मिसाल है। उनके जीवन का सबसे उत्तम आन्दोलनों में पहले गांधी के रचनात्मक कार्य प्रमुख थे लेकिन वह जय जगत के वास्तविक स्वरूप को पाने के लिए भूदान आन्दोलन की ओर बढ़े।उन्होंने 18 अप्रिल, 1958 को गांधी की मृत्यु के 10 वर्ष बाद इस आन्दोलन की शुरुआत तेलंगाना क्षेत्र के पोचमपल्ली गांव से की। भूदान का अर्थ है-भूमिहीनों...