मैंइकलकीरबनाती अगरहोती हाथमेरे कलम,समां देती उसमेअपनेसारे सपनेऔर आशाओं के महल !इस सिरे सेउस सिरे तक -लिख देतीनाम तुम्हारेजीवन की हर इक लहर !पर एक ख्यालभर रह गया जेहन में ये मेरे -समझ गईअब इनटूटते -टकराते -किनारोंसे में किन इकलकीर मेंसमाते हैंसपने, औरन हीकलम बनातीहै कोई ऐसीलकीर...