गजलअनमोल रहा हूँ......हैदिल की बात तुझसे मगर खोल रहा हूँमैंचुप्पियों में आज बहुत बोल रहा हूँसांसोंमें मुझे तुझसे जो एक रोज मिली थीवोखुश्बूयें हवाओं में अब घोल रहा हूँअबतेरी हिचकियों ने भी ये बात कही हैमैंतेरी याद साथ लिये डोल रहा हूँसोनेकी और न चांदी की मैं बात करुंगामैंदिल की ही तराजू पे दिल तोल रहा हूँचाहोतो मुहब्बत से मुझे मुफ्त ही ले लोवैसेतो शुरु से ही मैं अनमोल रहा ...