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बुधवार, 27 मई 2009

नेहरु चाचा आओ ना (पुण्य-तिथि 27 मई पर)

नेहरु चाचा आओ नादुनिया को समझाओ नाबच्चे कितने प्यारे होतेकोई उन्हे सताये नानेहरु चाचा आओ नामधुमुस्कान दिखाओ नातुम गुलाब कि खुशबू होबचपन को महकाओ नानेहरु चाचा आओ नाउजियारा फैलाओ नादेशभक्त हों, पढें लिखेंऐसा पाठ पढाओ नानेहरु चाचा आओ ना...

क्या पाया - कविता ( निर्मला कपिला )

क्या पायाये कैसा शँख नादये कैसा निनादनारी मुक्ति का !उसे पाना हैअपना स्वाभिमानउसे मुक्त होना हैपुरुष की वर्जनाओ़ सेपर मुक्ति मिली क्यास्वाभिमान पाया क्याहाँ मुक्ति मिलीबँधनों सेमर्यादायों सेसारलय सेकर्तव्य सेसहनशीलता सेसहिष्णुता सेसृ्ष्टि सृ्जन केकर्तव्यबोध सेस्नेहिल भावनाँओं सेमगर पाया क्यास्वाभिमान या अभिमानगर्व या दर्पजीत या हारसम्मान या अपमानइस पर हो विचारक्यों किकुछ गुमराह बेटियाँभावोतिरेक मेअपने आवेश मेदुर्योधनो की भीड मेखुद नँगा नाचदिखा रही हैँमदिरोन्मुक्तजीवन कोधूयें मे उडा रही हैंपारिवारिक मर्यादाभुला रही हैंदेवालय से मदिरालय का सफरक्या...

भक्तिकाल के महाकवि मलिक मुहम्मद जायसी - आलेख [नीशू तिवारी]

मलिक मुहम्मद जायसी हिन्दी साहित्य के भक्ति काल की निर्गुण प्रेमाश्रयी शाखा के कवि हैं । हिंदी साहित्य का भक्ति काल 1375 वि0 से 1700 वि0 तक माना जाता है। यह युग भक्तिकाल के नाम से प्रख्यात है। यह हिंदी साहित्य का श्रेष्ठ युग है।हिंदी साहित्य के श्रेष्ठ कवि और उत्तम रचनाएं इस युग में प्राप्त होती हैं।भक्ति-युग की चार प्रमुख काव्य-धाराएं मिलती हैं : ज्ञानाश्रयी शाखा, प्रेमाश्रयी शाखा, कृष्णाश्रयी शाखा और रामाश्रयी शाखा, प्रथम दोनों धाराएं निर्गुण मत के अंतर्गत आती हैं, शेष दोनों सगुण मत के। जायसी उच्चकोटि के सरल और उदार सूफी कवि थे ।जायसी का जन्म...