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मंगलवार, 15 सितंबर 2009

काव्य प्रेमी / व्यंग्य

काव्य -प्रेम /व्यंग्यएक काव्य प्रेमी हमारे पास आयेबोलेबन्धु कोई कविता सुनाओ उनके काव्य प्रेम को देखकविता की प्रसव पीडा ने हमें आन सतायाहमने श्रंगार की प्रथम डोज पिलाने के चक्कर मेंचन्द्रमुखी नायिका के गदराये यौवन वाली रचना सुनाईउन्होंने तुरन्त टांग अडाईतुम कौनसी सदी के कवि हो भाईऐसी रचनाऐं दसवीं के कोर्स में आती हैंछात्रों को मीठे सपनें दिखाती हैंतुम भी मीठे सपने दिखाने लगेगदराऐ यौवन की बाते बताने लगेशायद तुमने नहीं देखीदहेज की आग में झुलसती हुई नवयौवनाऐंसूखी छाती से चिपके दुध-मुँहे बच्चेबूढे माँ-बाप की खातिरयौवन के आगमन से बेखबरओफिस में कलम धिसति...

मन गीला नहीं होता-----"नवनीत नीरव"

पुरस्कृत रचना ( प्रथम स्थान, हिन्दी साहित्य मंच द्वितीय कविता प्रतियोगिता)(1)कभी -कभी बीती बातें,खट्टी मीठी गाँव की यादें,मन को गीली कर जाती हैं।जाने वह ,कौन -सा पहर था,जब शहर से,नौकरी की चिट्ठी आई,तुझसे क्या छुपाना ?मेरा मन,उड़ान भरने की कोशिश में था,जैसे परकटा परिंदा,पिंजरे से भाग जाना चाहता हो।अपनों की बातों से,सीना जो जला था मेरा,जैसे अलाव में,अधिक भुन गए हों कच्चे आलू,रात आँखों में ही काट दी थी मैंने।कुएं की जगत पर,हाथ मुंह धोये थे,आने के वक़्त ,मुझे याद है ,मेरी हाथों से छिटक कर,न जाने कितनी दूर तक,लुढ़का था वह,पीतल का लोटा,मानों कह रहा हो,तुम्हें...