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रविवार, 28 फ़रवरी 2010

आओ खेले होली ....................रंजना (रंजू) भाटिया

मस्त बयार बहेरंगों की बौछार चलेरंगे सब तन मनचढ़े अब फागुनी रंगकान्हा की बांसुरी संगभीगे तपते मन की रंगोलीआओ खेले होली .. टूट जाए हर बन्धशब्दों का रचे छंदमहके महुआ की गंधछलके फ्लाश रंगमिटे हर दिल की दूरीआओ खेले होली बहक जाए हर धड़कनखनक जाए हर कंगनबचपन का फिर हो संगहर तरफ छाए रास रंगऐसी सजी फिर मस्तानों की टोलीआओ खेले होली ..कान्हा का रास रसेराधा सी प्रीत सजेनयनो से हो बात अनबोलीआओ खेले होली ....