हमारा प्रयास हिंदी विकास आइये हमारे साथ हिंदी साहित्य मंच पर ..

शनिवार, 8 मई 2010

मेरी माँ......( मातृत्व दिवस पर समर्पित कविता ).....कवि दीपक शर्मा

“उसकी आवाज़ बता देती हैं मैं कहाँ हूँ ग़लतमेरी माँ के समझाने की कुछ अदा निराली है .”आओ ! सब मिलकर अपनी जननी के चरण स्पर्श करें और प्रभू से विनती करें कि हे !परम पिता हमे हर जन्म मे इसी माँ की कोख़ से पैदा करना ..हमारा जीवन इसी गोद मे सार्थक हैं. हमारा बचपन इसी ममता का प्यासा हैं और जन्मो -जन्मान्तर तक हम इसी ममत्व का नेह्पान करते रहें ..माँ आप हमारा प्रणाम स्वीकार करो और हमे आशीर्वाद दो .आज फिर नेह से हाथ सिर पर फेर माँहूँ बहुत...

चिथड़ा चिथड़ा ....(कविता)....माणिक

मेरी चिथड़ा चिथड़ा ,बेस्वाद और संकडी कहानी में अपने,लिखा है बहुत कुछ,तपती धरती,झरता छप्पर,घर,पडोस,या फ़िर खेत-खलिहान,कुन्डी में नहाते ढोर लिखे है कोने में कहीं,बेमेल ही सही पर शामिल तो किया,कम तौल कर कमा खाता ,गांव का बनिया भी खुदा ने,वार तेंवार की साग सब्जी,बाकी रहा आसरा, नमक-मिरच का,अनजान ही रहा क्यूं अब तक,दिनों में नहाती मां की मजबुरी से,चुज्जे,बछडे और मुर्गियां ,साथ हमारे सोती थी,बनिये के ब्याज वाले पहाडे ,सुनने से पके कानों को,स्कुल की घन्टी...