भूख तू बार बार क्यों है आतीरह रह कर मुझे सताती सोते से मुझे जगाती विचारों को मेरे झकझोरती क्या कुछ याद दिलाना चाहती ?एक दिन न खा सकी तो रात भर न सो सकी अब सोचने पर मजबूर भूखा कोई सो रहा सुदूर सोचने पर हूँ विवश लाखों कैसे सो जाते बेबस ?भूख तो उन्हें भी सताती होगीक्या पानी भूख मिटाती होगी खली पेट तो पानी भी नहीं सुहाता उपाय कोई तो होगा बस पाना है रास्ता छाणिक चमक धमक हमें लुभाती और बुध्ही भ्रष्ट हो जाती फसल तो उगती धरा पर...