रिश्ते की ताजगी,न रही,तुममें वो सादगी,न रही,कहती हो प्यार,मुझसे है,परये बातें सच्ची न लगी,तुम कहती थी,तोमैं सुनता था,तुम रूठती थी,तोमै मनाता था,तुम चिढ़ती थी,तोमैं चिढ़ाता था,तुम जीतती थी,तोमैं हार जाता था,ये सब अच्छा लगता था,मुझेवक्त ने करवट ली,मैं भी हूँ,तुम भी हो,साथ ही साथ हैंं,परवो प्यार न रहा,वो बातें न रही,तुम कहती हो कि-मैं बदल गया,शायद हां- मैं ही बदल गया।क्योंकितुम्हारा जीतना,तुम्हारा हसना,तुम्हारा मुस्कुराना,अच्छा लगता है अब भी,चाहे मुझे हारना ही क्यों न पड़े...