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गुरुवार, 21 मई 2009

रिश्ते की ताजगी न रही............................तुममें वो सादगी न रही,

रिश्ते की ताजगी,न रही,तुममें वो सादगी,न रही,कहती हो प्यार,मुझसे है,परये बातें सच्ची न लगी,तुम कहती थी,तोमैं सुनता था,तुम रूठती थी,तोमै मनाता था,तुम चिढ़ती थी,तोमैं चिढ़ाता था,तुम जीतती थी,तोमैं हार जाता था,ये सब अच्छा लगता था,मुझेवक्त ने करवट ली,मैं भी हूँ,तुम भी हो,साथ ही साथ हैंं,परवो प्यार न रहा,वो बातें न रही,तुम कहती हो कि-मैं बदल गया,शायद हां- मैं ही बदल गया।क्योंकितुम्हारा जीतना,तुम्हारा हसना,तुम्हारा मुस्कुराना,अच्छा लगता है अब भी,चाहे मुझे हारना ही क्यों न पड़े...

अपनी अमीरी पर इतना ना इतराओ लोगों......!! -कविता

मैं भूत बोल रहा हूँ..........!!तूम अमीर हो,यह बात कुछ विशेष अवश्य हो सकती है मगर,वह गरीब है.... इसमें उसका क्या कसूर है.....?? अभी-अभी जो जन्म ले रहा है किसी भीखमंगे के घर में जो शिशु उसने कौन सा पाप किया है ज़रा यह तो सोच कर बताओ......!! वो लाखों-लाख शिशु,जो इसी तरह ऐसी माँओं की कोख में पल रहें हैं...... वो-कौन सा कर्मज-फल भुगत रहे हैं.....?? अभी-अभी जो ओला-वृष्टि हुई है चारों तरफ़ और नष्ट हो गई है ना जाने कितनी फसल ना जाने कितने किसानो की..... ये अपने किस कर्म का फल भुगत रहे हैं....?? एक छोटी-सी लड़की को देखा अभी-अभी सर पर किसी चीज़ का गट्ठर...