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मंगलवार, 18 मई 2010

तुम्हारी खामोशियाँ .......(गजल)................अनामिका (सुनीता)

आज ये खामोशियाँ सिमटती क्यों नहींहाल-ऐ-दिल आपके लब सुनते क्यों नहीं..कभी तो फैला दो अपनी बाहों का फलकमेरी आँखों की दुआ तुम तक जाती क्यों नहीं..दर्द-ऐ-दिल बार-बार पलकों को भिगो जाता है ...आपका खामोश रहना मुझे भीतर तक तोड़ जाता है..मुहोब्बत मेरी जिंदगी की मुझसे रूठने लगी है ..अंधेरे मेरी जिंदगी की तरफ़ बढ़ने लगे है..बे-इंतिहा मुहोब्बत का असर आज होता क्यों नहीं..मेरी आत्मा में बसे हो तुम, ये तुम जानते क्यों नहीं..दिन-रात मेरी दुआओ में तुम हो ये तुम...

प्यार *************** {कविता} *************** सन्तोष कुमार "प्यासा"

प्यार {कविता} सन्तोष कुमार "प्यासा" लोग कहते है की प्यार सिर्फ एक बार होता है ! लेकिन जब भी मै तुम्हे सपनो में पाता हूँ या किसी कारणवश उदास हो जाता हूँ जब भी मै तुम्हे सुनता हूँ या तन्हाइयों में सपने बुनता हूँ जब तुम्हे देखता हूँ या खामोशियों में तुम्हे महसूस करता हूँ मुझे हर बार तुमसे प्यार हो जाता है गहरा और गहरा...