हमारा प्रयास हिंदी विकास आइये हमारे साथ हिंदी साहित्य मंच पर ..

गुरुवार, 27 मई 2010

हस्ताक्षर .......(कविता).......संगीता स्वरुप

वातानुकूलित कक्ष मेंबैठ करतुम करते हो फैसलेउन जिंदगियों केजिनकी किस्मत मेंबदबूदार बस्तियां हैंकर देते होहस्ताक्षरउन्हें ढहाने केजिनकी ज़िन्दगी मेंकेवल झोपड़ - पट्टियाँ हैं.क्यों कितुम्हारी नज़र मेंशहर को सुन्दर बनानाज़रूरी हैपर येझुग्गी - झोपडियांउनकी मजबूरी है.मन और कक्ष तुमसदैव बंद रखते होइसीलिए तुमऐसे फैसले कर देते होज़रा अपनेमन और कमरे केगवाक्षों को खोलोऔर उनकी ज़िन्दगी केगवाह बनो .जिस दिन तुमउनकी ज़िन्दगीजान जाओगेअपने फैसले परपछताओगे .कलम तुम्हारारुक जायेगामन तुम्हारापीडा सेभर जायेगाऔर खुद के कियेहस्ताक्षर परतुम्हारा ह्रदयधिक्कार कर रह जाएगा...