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शनिवार, 5 सितंबर 2009

बंद आंखें ( कविता )

बंद करता हूं जब आंखेसपने आखों में तैर जाते हैं ,जब याद करता हूँ तुमकोयादें आंसू बनके निकल जाती हैं ,ये खेल होता रहता है ,यूं हर पल , हर दिन ही ,तुम में ही खोकर मैं ,पा लेता हूँ खुद को ,जी लेता हूँ खुद को ,बंद करता हूँ आंखें तोदिखायी देती है तुम्हारी तस्वीर ,सुनाई देती है तुम्हारी हंसी कानों में,ऐसे ही तो मिलना होता है तुमसे अब।।बंद कर आंखें देर तक,महसूस करता हूँ तुमको ,और न जाने कबचला जाता हूँ नींद के आगोश में ,तुम्हारे साथ ही...

हिन्दी पखवाड़े में आज का व्यक्तित्व --- महात्मा गंगा दास

हिन्दी पखवाड़े को ध्यान में रखते हुए हिन्दी साहित्य मंच नें 14 सितंबर तक साहित्य से जुड़े हुए लोगों के महान व्यक्तियों के बारे में एक श्रृंखला की शुरूआत की है । जिसमें भारत और विदेश में महान लोगों के जीवन पर एक आलेख प्रस्तुत किया जा रहा है । । आज की तिसरी कड़ी में हम " महात्मा गंगा दास जी" के बारे में जानकारी दे रहें ।आप सभी ने जिस तरह से हमारी प्रशंसा की उससे हमारा उत्साह वर्धन हुआ है । उम्मीद है कि आपको हमारा प्रयास पसंद आयेगाझूलत कदम तरे मदन गोपाल लाल,बाल हैं बिशाल झुकि झोंकनि झुलावती।१।कोई सखी गावती बजावती रिझावती,घुमड़ि घुमड़ि घटा घेरि घेरि...