न मैं कवि न शायर,गज़लगोन न मैं कोई गीतकार हूं ।उठती है दिल में बात जो,मैं उसी का निबहगार हूं । इस दिल में जब भी उठी सदा, ये दिल कभी जो मचल गया । वो गुबार उनकी याद का , यूं ज़ुबां पै आके फ़िसल गया। कोई देश पे कुर्बां हुआ, कोई राष्ट्र हित कुछ कर गया। कोई अपनी सारी ज़िन्दगी, इन्सानियत पै लुटा गया । जो कसीदे उन के लिख दिये, जो ज़ुबां से गीत फ़िसल गया। वही नग्मे सुर में गा दिये , ...