दुर्वाशा के वचनो का ना था उन्हे ज्ञान !
वह सुन रही थी पक्षियो का सुरीला गान !!
दुर्वाशा ने क्रोधित होकर कहा !
दुश्यन्त तुम्हे भुल जायेगा शकुन्तला !!
शकुन्तला इस बात से थी अज्ञात !
की उसकी जिन्दगी मे हो गयी रात !!
अनुसुइया और अनुप्रिया ने कराया उसे ज्ञात !
यह सुनते ही उसकी जिन्दगी मे हो गयी रात !!
वह दौङी और दुर्वाशा को कीया चरणस्पर्श !
वह अपनी जिन्दगी से कर रही थी संघर्ष !!
फिर शकुन्तला ने की छमा याचना !
दुर्वाशा ने भी की उसके लिये मंगल कामना !!
मेरे कण्ठो से जो तुम्हारी जिन्दगी मे आयी बाढ !
उसे दुर करेगी मीन और मुद्रीका की धार !!
जब शकुन्तला...