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मंगलवार, 8 जनवरी 2013

शकुन्तला

दुर्वाशा के वचनो का ना था उन्हे ज्ञान ! वह सुन रही थी पक्षियो का सुरीला गान !! दुर्वाशा ने क्रोधित होकर कहा ! दुश्यन्त तुम्हे भुल जायेगा शकुन्तला !! शकुन्तला इस बात से थी अज्ञात ! की उसकी जिन्दगी मे हो गयी रात !! अनुसुइया और अनुप्रिया ने कराया उसे ज्ञात ! यह सुनते ही उसकी जिन्दगी मे हो गयी रात !! वह दौङी और दुर्वाशा को कीया चरणस्पर्श ! वह अपनी जिन्दगी से कर रही थी संघर्ष !! फिर शकुन्तला ने की छमा याचना ! दुर्वाशा ने भी की उसके लिये मंगल कामना !! मेरे कण्ठो से जो तुम्हारी जिन्दगी मे आयी बाढ ! उसे दुर करेगी मीन और मुद्रीका की धार !! जब शकुन्तला...