धरी धरी लुट गयी सपनों की टोकरी,मिली नहीं नौकरी। क्याहम कहें कुछ कहा नहीं जाए,जीवन से मौत अच्छीसहा नहीं जाए। झूठेअरमान हुए सपनें बेइमान हुए, अपने अनजान हुएरहा नहीं जाए। करगई बाय बाय मुम्बई की छोकरी !मिली नहीं नौकरी।धरी धरी लुट गयी ... कितने जतन किएपूरी की पढ़ाई,फिर भी जमाने मेंबेकारी हाथ आई। दर दर की ठोकर खाते, पानी पी भूख मिटाते,पर हम लड़ते ही जातेजीवन की लड़ाई। होकरमजबूर यारों करते हैं जोकरी !मिली नहीं नौकरी।धरी धरी लुट गयी...