शजर पर एक ही पत्ता बचा हैहवा की आँख में चुभने लगा हैनदी दम तोड़ बैठी तशनगी सेसमन्दर बारिशों में भीगता हैकभी जुगनू कभी तितली के पीछेमेरा बचपन अभी तक भागता हैसभी के ख़ून में ग़ैरत नही परलहू सब की रगों में दोड़ता हैजवानी क्या मेरे बेटे पे आईमेरी आँखों में आँखे डालता हैचलो हम भी किनारे बैठ जायेंग़ज़ल ग़ालिब सी दरिया गा रहा...