बहुत कुछ बदल जाने के बाद भी ,आज न जाने क्यूँ तुम्हारी यादें वैसी ही हैं ,जैसे की पहले हुआ करती थी ,मुझे पता है कि तुमसे कह नहीं सकता कुछ भी ,बता नहीं सकता अपनी बातों को ,पर फिर भी खुद को ही अच्छा लगता है सोचना ये ,जिसे तुमने आकर्षण कहा,दोस्ती कहा या कभी प्यार का नाम दिया ,उनमें से कोई रिश्ता आज कायम नहीं ।मैं सोचता हूँ सारी पुरानी बातें ,जिसमें केवल मैं होता था और तुम होती थी ,जो अब झूठी लगती हैं ,एक धोखा लगती हैं ,ये सब सोच के दर्द सा होता पर भी ,ये दिल है कि तुमको ही याद करता हैं ,खामोश रात में बंद आखें तुमको ही खोजती हैं ,फिर दिन के उजाले में...