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बुधवार, 2 जनवरी 2013

हम कैसे जिये

हम इस दुनिय मे कैसे जिये,  रात जैसे अंधेरे मे हम कैसे चले ! हम आगे तो है साफ लेकिन, पिछे की बुराईयों को कैसे मले! लोग तो अब न जाने,  क्या-क्या कहने लगे !                                                                 आखो...