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सोमवार, 17 अगस्त 2009

ये प्रेम है ......!!

ये प्रेम है ......!!ये प्रेम है ......!!दुख तो हर हाल में देगा।तेरे साथ होने पर भी .....तेरे जाने के मौसम मे भी!सोचती हूँ ......!!दुखी होना है अगर हर हाल में......तो तेरे साथ में रह कर दुखी होना बहतर है ।रोने को एक कन्धा तो होगा ......दुश्मन ही सही.... अपना -सा एक बन्दा तो होगा !!ये प्रेम है .........!!!दुख तो हर हाल में देगा।दुख से सुख की अनुभूती है।प्रेम बिन ज़िन्दगी अधूरी है ।प्रेम से सारी खुशिया है।प्रेम बिन ज़िन्दगी सूखी भूमि है।प्रेम है तो सुन्दरता है।अनुभूती है ।खुशिया है ।दुख है ।आंसू है ।संवेदना है ।सारे रिश्ते नाते है।जो अपनापन समझता...

"जिन्दगी कोई छोटी चुनौती नहीं" - हिमांशु कुमार पाण्डेय

प्रश्न का चिह्न बन जागती जो खड़ी जिन्दगी कोई छोटी चुनौती नहीं हार से डर समरभूमि मत छोड़नाहै सफलता किसी की बपौती नहीं ।माथ धुनते बिलखते ऋणी रिक्तकरएक हारे जुआरी-सा जाओगे क्या ?थपथपा प्यार से पीठ मुख चूमकर जिसने भेजा उसे मुख दिखाओगे क्या?जग में जी लेना कीड़े मकोड़े सा तुममाँ ने मानी थी ऐसी मनौती नहीं ।श्वान के पूँछ सी यह भी क्या जिन्दगीकर सकी जो सरलता को धारण नहीं गुह्य गोपन में सक्षम नहीं, कर सकीजो मशकदंश का भी निवारण नहीं,ईश पद धो स्वयं भी निखर जाय क्योंकरता मन केंवटा की कठौती नहीं ।दिन गये सो गये तूँ है जब से जगा बस उसी क्षण से अपनी सुबह मान ले...