
ये दिल का खेल भी बड़ा निराला होता है,
जिससे प्यार करता है,
उससे ही कहने से डरता है।
अपनी सारी जिंदगी उसके इंतजार में गुजरता है,
वो तो सोता है,पर खुद रात भर जगता है।
दिल से ही दिल में खुब बातें करता है,
पर जब वो सामने आता है,
तो कुछ भी कहने से डरता है।
बस एक झलक जो पा लेता है उसकी,
दिल मोर बगिया में ऐसे नाचता है,
मानों सब कुछ मिल गया हो अब,
कुछ और ना पाने की चाहत रखता है।
पर जुदाई के हर तड़प को यूँ सहता है,
जैसे अग्निपथ को कोई पार करता है।
आँखों...