
मस्जिद में लगे ध्वनि विस्तारक यंत्रों से,
आजान का वो स्वर सुना है।
नमाजों में, दुआओं में,
मुसलमानों के पाक इरादों में,
दिख जाता मुझे आज भी वो खुदा है।
खुदा ना जुदा है बंदो से,
बंदगी उसकी अब भी वही है,
मजहब वही है, खुदा वही है,
इंसानियत ही बस आज सुना सुना है।
मस्जिद में लगे ध्वनि विस्तारक यंत्रों से,
आजान का वो स्वर सुना है।
भाईचारा बद्सलूकी का हमराही बना,
अलविदा कहा उस कौम को,
खुदा भी ताकता रहा बंदो को,
इशारा दिया जुबा को मौन से।
वो ईद की...