हमारा प्रयास हिंदी विकास आइये हमारे साथ हिंदी साहित्य मंच पर ..

रविवार, 17 मई 2009

जीवन की सच्चाई

धरातल पर आकर खड़ी हो गईं फिरउड़ती आकांक्षाएँ लोगों की,दरक गये सपनेजो सजे थे लोगों के,बिखर गईं कड़ियाँजो बुनी थी लोगों की।हर सांस को अगली सांस का पता नहीं,इस पल में क्या गुजर जाये पता नहीं,बस....समय की गति से न पिछड़ने के लिए,आज की भागदौड़ में साथ चलने के लिए,लगे हैं....किसी मशीन की तरह।उगते सूरज की मानिन्द उठ कर,सारे दिन का सफरखत्म होता है जोरात की काली चादर तले।इसी को अपने दर्द की इंतिहा जाना,इसके बाद किसी सीमा को न पहचाना,भागदौड़ का दर्द,पिछड़ने का भय,कुछ पाने की लालसा,कुछ खोने का ग़म,समझा गया, माना गया इसी कोसबसे बड़ा ग़म,आने वाले पल को कठिन...

ये युवा .......जो कुछ करना चाहते हैं......!!!![आलेख ] - भूतनाथ

मैं भूत बोल रहा हूँ..........!! दोस्तों..!! चालीस के लपेटे में आया हुआ आदमी क्या वही सब सोचता है,जो आज मैं आज सोच रहा हूँ...!!आज अहले सुबह जब सैर को निकला......तो भोर की प्राकृतिक छठा के साथ और भी कई पहलु देखने को मिले.... यूँ तो रोज ही यह सब देखने को होता है.....,मगर सब कुछ को रोज-ब-रोज देखते हुए रोज नए विचार मन या दिमाग में आते है....हैं ना......!! रोज नए युवा होते बच्चों को देखता हूँ....रोज जिन्दगी के नए-नए रंग इनमें फूटते देखता हूँ.....!!....रोज इक नई आस मुझमें जग जाती है....!! बूढे...

विजय कुमार सप्पत्ति जी पांच रचनाएं [आमंत्रित कवि ]

कवि परिचय -विजय कुमार सप्पत्ति जी हैदराबाद में रहते हैं । वर्तमान समय में एक कंपनी में Sr.GM- Marketing के पद पर कार्यरत हैं । साहित्य से बहेद लगाव है आपका । अबतक करीब २५० कवितायें, नज्में , गज़लें लिखी है आपने । पत्राचार सपंर्क हेतु -V I J A Y K U M A R S A P P A T T IFLAT NO.402, FIFTH FLOOR,PRAMILA RESIDENCY; HOUSE NO. 36-110/402,DEFENCE COLONY, SAINIKPURI POST,SECUNDERABAD- 500 094 [A.P.]Mobile no : +91 9849746500 email ID : vksappatti@rediffmail.com...