दिया तोजला लिया हैहमने ज्ञान कापर आँख मेंमोतियाबिंदलिए बैठे हैं .रोशनी की कोईमहत्ता नहींजब मन में अन्धकारकिये बैठे हैं .आचार है हमारे पासपरव्यवहार की कमी हैचाहते हैं पानाबहुत कुछपर हम मुट्ठीबंद किये बैठे हैं .चाहते हैंसिमट जायेहथेलियों मेंसारा जहाँजबकिहम खुद हीकर - कलमकिये बैठे हैं .चाहते हैं पानानेह कीसुखद अनुभूतिलेकिनहृदय - पटलबंद किये बैठे हैं ..गर चाहते हो किऐसा सब होतो --खोल दोसारे किवाड़आने दो एकशीतल मंद बयारमन - आँगनबुहार दोनयन खोलदिए मेंतेल डाल दोमोतियाबिंदहटा दोहृदय के पट खोलोप्रेम को बांटोबाहें फैलाओऔर जहाँ को समेट लो .....**********...