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शनिवार, 17 अप्रैल 2010

तुम इतने समीप आओगे मैंन कभी नहीं सोचा था......- डा. बुद्धिनाथ मिश्र

मधेपुरा की ऐतिहासिक साहित्यिक परम्परा को सम्वर्द्धित करते हुए बी. एन मंडल विश्वविधालय, मधेपुरा के वर्तमान कुलपति डा. आर. पी. श्रीवास्तव के सद्प्रयास से विश्वविधालय के सभागार में काव्य संध्या का एक महत्वपूर्ण आयोजन किया गया। विश्वविधालय स्थापना के 17 वर्षों में यह पहला मौका था जब साहित्य की एक महत्वपूर्ण विधा (कविता) पर रचनाकारों का इस तरह भव्य समागम हुआ। विशिष्ठ अतिथि एवं गीतकाव्य के शिखर पुरुष डा. बुद्धिनाथ मिश्र (देहरादून) सहित अन्य कवियों को...

क्या है कविता ....(कविता ) ...कवि दीपक शर्मा

महज़ अलफाज़ से खिलवाड़ नहीं है कविताकोई पेशा ,कोई व्यवसाय नही है कविता ।कविता शौक से भी लिखने का काम नहींइतनी सस्ती भी नहीं , इतनी बेदाम नहीं ।कविता इंसान के ह्रदय का उच्छ्वास है,मन की भीनी उमंग , मानवीय अहसास है ।महज़ अल्फाज़ से खिलवाड़ नही हैं कविताकोई पेशा , कोई व्यवसाय नहीं है कविता ॥कभी भी कविता विषय की मोहताज़ नहींनयन नीर है कविता, राग -साज़ भी नहीं ।कभी कविता किसी अल्हड यौवन का नाज़ हैकभी दुःख से भरी ह्रदय की आवाज हैकभी धड़कन तो कभी लहू की रवानी हैकभी रोटी की , कभी भूख की कहानी है ।महज़ अल्फाज़ से खिलवाड़ नहीं है कविता,कोई पेशा , कोई व्यवसाय...