सच चाहे जितना तीखा हो धंस जाये तीर सा सीने में !सुनने वाले तिलमिला उठे लथपथ हो जाये पसीने में !!लेकिन दुर्घटना के भय से कब तक चुपचाप रहेंगे हम !नस-नस में लावा उबल रहा कितना संताप सहेगे हम !!जिन दुष्टों ने भारत माँ की है काट भुजा दोनों डाली!पूंजे जो लाबर,बाबर को श्री राम चंद्र को दे गली !!उन लोगो को भारत भू पर होगा तिलभर होगा स्थान नहीं !वे छोड़ जाएँ इस धरती को उनका ये हिंदुस्तान नहीं !!हमको न मोहम्मद से नफ़रत, ईसा से हमको बैर नहीं !दस के दस गुरु अपने उनमे से कोई गैर नहीं !!मंदिर में गूंजे वेदमंत्र गुरु-द्वारों में अरदास चले !गिरजाघर में घंटे बजे...