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रविवार, 28 मार्च 2010

वर्त्तमान कविता के परिदृश्य में अगीत काव्य व उसकी संभावनाएं.... (( डा श्याम गुप्त ))

काव्य रचना के प्राय: तीन उद्देश्य होते हैं --आत्म रंजनार्थ, सामयिक कविता ( जन रंजनार्थ ) व सोद्देश्य कविता सोद्देश्य कविता ही वास्तविक व कालजयी साहित्य होता है इसी के साथ यः भी सत्य है कि यदि उपरोक्त सभी प्रकार के काव्य यदि व्यापक सामाजिक सरोकार व समाधान युक्त हैं तो सभी कविता सोद्देश्य होजाती है हिन्दी कविता जगत में उत्पन्न होती जारही इसी इसी शून्यता के हित 'अगीत' का जन्म हुआ यदि साहित्य के वर्त्तमान परिदृश्य पर एक गहन दृष्टि डाली जाय तो आज हिन्दी साहित्याकाश में अगीत का एक विस्तृत फलक दृश्यमान होता है आज अगीत कविता व कवि न ...