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शुक्रवार, 4 फ़रवरी 2011

नव प्रेरणा {कविता} सन्तोष कुमार "प्यासा"

क्या धरा, क्या व्योम नव-प्रेरणा देता प्रकृति का रोम-रोम प्रभा की बेला देती जीवन में नव उमंग भर परसेवा को प्रेरित करते तरुवर प्रिय के वियोग में जब प्रीत-गीत छेड़ते विहाग स्पंदित हो उठता ह्रदय छट जाते जन्मो के मर्म विषाद स्वेत श्याम रूप धर नीलाम्ब में जब बदल इठ्लाएं अमृत बूँद गिरे धरा पर मन-मानस पुलकित हो जाए....