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शनिवार, 22 जनवरी 2011

जो ह्रदय स्पंदन हो मुखरित...............(सत्यम शिवम)

करना कैसा बहाना प्रिय, जो ह्रदय स्पंदन हो मुखरित। मिलन निशा का इक गीत अनोखा, जो कंठो से फूट पड़े, खुद पर ना हो जब प्राण का बस प्रिय, तो प्रेम दिवाने क्या करे? संगीत जिसका मौन हो, जो नैनों से ही हो स्वरित। करना कैसा बहाना प्रिय, जो ह्रदय स्पंदन हो मुखरित। वीणा के तार पर फेर अँगुली, गूँजेगा जो इक मधुर धुन, ह्रदय मेरे तु अधीर ना हो, स्व स्पंदन के गीत को सुन। व्याकुल ना हो इस रात प्रिय, करना अब तु मन को कुंठित। करना कैसा बहाना प्रिय, जो ह्रदय स्पंदन...

मेरी मौत खुशी का वायस होगी ----[मिथिलेश]

जिन्दगी जिन्दादिली को जान ए रोशन यहॉंवरना कितने मरते हैं और पैदा होते जाते हैं।क्रान्तिकारी रोशन सिंह का जन्म शाहजहॉंपुर जिले के नबादा ग्राम में हुआ था । यह गांव खुदागंज कस्बे से लगभग दस किलोमीटर की दूरी पर है। इनके पिता का नाम ठाकुर जंगी सिंह था। इस परिवार पर आर्य समाज का बहुत प्रभाव था। उन दिनों आर्य समाज द्वारा चलाए जा रहे देशहित के कार्यों से ठाकुर साहब का परिवार अछूता ना रहा। श्री जंगी सिंह के चार पुत्र ठाकुर रोशन सिंह, जाखन सिंह, सुखराम सिंह,...