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बुधवार, 7 जुलाई 2010

गजल...........................................मीना मौर्या जी

(हिंदी साहित्य मंच को यह रचना डाक से प्राप्त हुई)दुनिया के दिल में हजारों की भीड़ देखी, हसते  हुए को दुआ और देते आशीष देखी. मतलबी इस दुनिया में रोते को हँसना गुनाह हैउन पर बहाए  कोई आंसू न रहम दिल देखी न चाहे फिर भी अँधेरे को पनाह घर में मिलता है किसी मजार पर जलता चिराग न सारी रात देखी संग जीने मरने के वादे दुनियां में बहुतों ने किये निकलते जनाजा न अब तक दोनों को साथ देखी गुमराह कर गए वो खुदा मेरे आशियाने को वे जिस्म में जान डाल दे ऐसा न हकीम देखीछोड़ जाती है रूह जिस्म बेजान हो...

प्रियतम होते पास अगर..............श्यामल सुमन

प्रियतम होते पास अगरमिट जाती है प्यास जिगरढ़ूँढ़ रहा हूँ मैं बर्षों सेप्यार भरी वो खास नजरटूटे दिल की तस्वीरों का देता है आभास अधरगिरकर रोज सम्भल जाएं तोबढ़ता है विश्वास मगरतंत्र कैद है शीतल घर मेंजारी है संत्रास इधरलोगों को छुटकारा दे दोबन्द करो बकवास खबरटूटे सपने सच हो जाएंसुमन हृदय एहसास ...