(हिंदी साहित्य मंच को यह रचना डाक से प्राप्त हुई)दुनिया के दिल में हजारों की भीड़ देखी, हसते हुए को दुआ और देते आशीष देखी. मतलबी इस दुनिया में रोते को हँसना गुनाह हैउन पर बहाए कोई आंसू न रहम दिल देखी न चाहे फिर भी अँधेरे को पनाह घर में मिलता है किसी मजार पर जलता चिराग न सारी रात देखी संग जीने मरने के वादे दुनियां में बहुतों ने किये निकलते जनाजा न अब तक दोनों को साथ देखी गुमराह कर गए वो खुदा मेरे आशियाने को वे जिस्म में जान डाल दे ऐसा न हकीम देखीछोड़ जाती है रूह जिस्म बेजान हो...