ऐ हसीं ता ज़िंदगी ओठों पै तेरा नाम हो |पहलू में कायनात हो उसपे लिखा तेरा नाम हो |ता उम्र मैं पीता रहूँ यारव वो मय तेरे हुश्न की,हो हसीं रुखसत का दिन बाहों में तू हो जाम हो |जाम तेरे वस्ल का और नूर उसके शबाब का,उम्र भर छलका रहे यूंही ज़िंदगी की शाम हो |नगमे तुम्हारे प्यार के और सिज़दा रब के नाम का,पढ़ता रहूँ झुकता रहूँ यही ज़िंदगी का मुकाम हो |चर्चे तेरे ज़लवों के हों और ज़लवा रब के नाम का,सदके भी हों सज़दे भी हों यूही ज़िंदगी ये तमाम हो |या रब तेरी दुनिया में क्या एसा भी कोई तौर है,पीता रहूँ , ज़न्नत मिले जब रुखसते मुकाम हो |है इब्तिदा , रुखसत...