
रिश्ते बंद है आजचंद कागज के टुकड़ो में,जिसको सहेज रखा है मैंनेअपनी डायरी में,कभी-कभी खोलकरदेखता हूँ उनपर लिखे हर्फों कोजिस पर बिखरा हैप्यार का रंग,वे आज भी उतने ही ताजे हैजितना तुमसे बिछड़ने से पहले,लोग कहते हैं कि बदलता है सबकुछसमय के साथ,परये मेरे दोस्तजब भी देखता हूँगुजरे वक्त को,पढ़ता हूँ उन शब्दो कोजो लिखे थे तुमने,गूजंती है तुम्हारीआवाज कानो में वैसे ही,सुनता हूँ तुम्हारी हंसी कोऐसे मे दूर होती है कमी तुम्हारी,मजबूत होती हैरिश्तो की डोरइन्ही...