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रविवार, 1 अगस्त 2010

दिल में ऐसे उतर गया कोई.............(ग़ज़ल)................मनोशी.

दोस्त बन कर मुकर गया कोई  अपने दिल ही से डर गया कोईआँख में अब तलक है परछाईंदिल में ऐसे उतर गया कोईसबकी ख़्वाहिश को रख के ज़िंदा फिरख़ामुशी से लो मर गया कोईजो भी लौटा तबाह ही लौटाफिर से लेकिन उधर गया कोई"दोस्त" कैसे बदल गया देखोमोजज़ा ये भी कर गया ...