हमारा प्रयास हिंदी विकास आइये हमारे साथ हिंदी साहित्य मंच पर ..

शनिवार, 2 अप्रैल 2011

"अक्सर"------(कविता)-----मोनिका गुप्ता

अक्सरमाँ को भी याद आती हैअपनी माँ की हर बातउसका वोनर्म हाथो से रोटी का निवाला खिलानाहोस्टल छोडने जाते हुए वो डबडबाई आखों से निहारनाउसका पल्लू पकड़कर आगे पीछे घूमनाउसके प्यार की आचँ से तपता बुखार उतर जानाकम अंक लाने पर उसका रुठना पर जल्दी ही मान जानाअक्सरमाँ को भी याद आती हैअपनी माँ की हर बातपर माँ तो माँ हैइसलिए बस चंद पल खुद ही सिसक लेती हैऔर फिर भुला देती है खुद कोपाकर अपने बच्चो को प्यार भरीछावँ मे,दुलार मे ,मनुहार मेंपर अक्सरमाँ को भी याद आती हैअपनी माँ की हर ...