पुरस्कृत रचना ( सांत्वना पुरस्कार हिन्दी साहित्य मंच द्वितीय कविता प्रतियोगिता)धरती के इसबहुतप्राचीनमन्दिर के भीतरजर्जर हो चुके अंधेरो मेउतरकरसीडीयागर्भालय मेउजालो की हो ,कहीं परकुछ बुँदे पडीयह खोजता हू मैश्लोको की अनुगूँजअमृत सी सहेजीभरी पडी होकिसी स्वर्ण -कुम्भ मेयह खोजता हू मै-शुभ आशीर्वादों कोजिसके हाथो ने दीयेउस भगवान केबिखरेभग्न -अवशेषों मेप्राण खोजता हू मैलौट कर गएपद -चिह्नों मेलोगो की श्रद्धा केठहरे हुवेआभारखोजता हू मै-छूते हैमूर्तियों के हाथउन हाथोकी उंगलियों मेसबकी पूजा मेसमर्पितअटकेअश्रु से भरे नयनखोजता हू मैवहदेह रहितअजन्मीशाश्वतमगरइन्तजार...