मेरी गुड़िया जब से, मेरे जीवन में आयी हो।सूने घर आँगन में मेरे, नया सवेरा लायी हो।पतझड़ में बन कर बहार, मेरे उपवन में आयी हो।गुजर चुके बचपन को मेरे, फिर से ले आायी हो।सुप्त हुई सब इच्छाओ को, तुमने पुनः जगाया।पानी को मम कहना, मुझको तुमने ही सिखलाया।तुमने किट्टू को तित्तू ,तुतली जबान से बतलाया। मम्मी को मी पापा को पा,कह अपना प्यार जताया।मेरी लाली-पाउडर तुम, अपने गालों पर मलती हो।मुझको कितना अच्छा लगता, जब ठुमके भर कर चलती हो।सजे-सजाये घर को तुम, पल भर मे बिखराती हो।फिर भी गुड़िया रानी तुम, मम्मी को हर्षाती हो।छोटी सी भी चोट तुम्हारी, मुझको बहुत रुलाती...