प्रिय तुमको दूं क्या उपहार |मैं तो कवि हूँ मुझ पर क्या है ,कविता गीतों की झंकार |प्रिय तुमको दूं क्या उपहार |गीत रचूँ तो तुम ये समझना,पायल कंगना चूड़ी खन खन |छंद कहूं तो यही समझना ,कर्ण फूल बिछुओं की रुन झुन |मुक्तक रूपी बिंदिया लाऊँ ,या नगमों से होठ रचाऊँ |ग़ज़ल कहूं तो उर में हे प्रिय !पहनाया हीरों का हार ||---प्रिय तुमको....दोहा, बरवै, छंद, सवैया ,अलंकार रस छंद - विधान |लाया तेरे अंग- अंग को,विविधि रूप के प्रिय परिधान |भाव ताल लय भाषा वाणी ,अभिधा लक्षणा और व्यंजना |तेरे प्रीति- गान कल्याणी,तेरे रूप की प्रीति वन्दना |नव- गीतों की बने अंगूठी...