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रविवार, 4 अक्टूबर 2009

बारिशों में नहाना भूल गए-------------(जतिन्दर परवाज़ )

बारिशों में नहाना भूल गएतुम भी क्या वो जमाना भूल गएकम्प्यूटर किताबें याद रहींतितलियों का ठिकाना भूल गएफल तो आते नहीं थे पेडों परअब तो पंछी भी आना भूल गएयूँ उसे याद कर के रोते हैंजेसे कोई ख़जाना भूल गएमैं तो बचपन से ही हूँ संजीदातुम भी अब मुस्कराना भूल ...