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बुधवार, 1 अप्रैल 2009

देश का गौरव बन जाओ.............[एक कविता] निर्मला कपिला की

गौरव बन जाओसतलुज की लहरों नेजीवन का सार बतायासीमा मे बँध कर रहने कागौरव उसने समझायाकहा उन्मुक्त बहूँ तोसिर्फ उत्पात मचाती हूँभाखडा बाँध मे हो सीमितगोबिन्द सागर कहलाती हूँदेती हूँ बिजली घर घर मेंसब को सुख पहुँचाती हूँफसलों को पानी देती हूँसब की प्यास बुझाती हूँजो समाज क नियम् मे जीयेगावही समाज बनायेगाजो तोडेगा इसके कायदेवो उपद्रवी कहलायेगातुम भी अनुशासन मे रहना सीखोमानव धर्म कमाओसतलुज की लहरों की मनिंददेश के गौरव बन ...