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बुधवार, 30 सितंबर 2009

कविता.........................नीशू

प्रिये , आज तुम फिर क्यों ? इतनी देर से आयी हो , तुम्हारे इंतजार में मैंनेकितने ही सपने सजाये पर तुम्हारे बगैर ये कितने अधूरे से हैं ।मैंने तो कितनी ही बार तुमसे शिकायत की पर तुमने हमेशा ही अपनी मुस्कुराहट से ,जीत लिया मुझे,तुमसे इस तरह तुम्हारी शिकायत करनाअच्छा लगता है मुझे ,प्रिये,तुम्हारा इंतजार करते- करते मैंनें बंद कर ली थी आंखें,बंद आंखों में तुम्हारी यादे तैरने लगी थी ,एक उम्मीद थी कि शायद इन यादों के साथनींद के आगोश में समा जाऊं मैं ,करवटें बदल- बदल कर कोशिश की थी ,रात भर सोने कीपर सफल न हो सका था ।कमरे के दरवाजे...

विकलांगता- एक अभिशाप ( सूचना)

विकलांगता एक अभिशाप यह धारणा समाज में बहुप्रचारित है , कहीं इसे पुर्नजन्म के कर्मों से जोड़कर देखा जाता है तो कहीं पाप और पुण्य से जोड़कर । परन्तु यह अवधारणा समाज में धीरे धीरे बदली है । शिक्षा का प्रभाव अपना असर दिखा रहा है । ऐसे में हमारा कर्तव्य हो जाता है कि हम ऐसे लोगों की मदद कर इसने जीवन को सही दिशा में लाने का प्रयास करें ।दिसंबर माह के प्रथम सप्ताह में विकलांगता दिवस मनाया जाता है । जागरूकता फैलाकर समाज में विकलांग व्यक्ति को मुख्यधारा में शामिल करने की कोशिश की जाती है । लोगों की भ्रांतियों को दूर करने की कोशिश की जाती है ।ऐसे में आप...