मैं सपने देखता हूँहाँ मैं भी सपने देखता हूँकभी जागते हुए कभी सोते हुएकभी पर्वतों से ऊंचे सपनेकभी गुलाब से हसीं सपनेकभी खुद को समझने के सपनेकभी खुद को जीतने के सपनेकभी खुद को हारने के सपनेमैं हर तरह के सपने देखता हूँमैं हर रंग हर आकार हर हर स्वाद के सपने देखता हूँकभी नीले कभी गुलाबी कभीकभी तीखे कभी मीठेकभी छोटे कभी बड़ेमैं हर तरह के सपने देखता हूँमेरे सपने बहूत जल्दी टूट टूटे हैंऔर बिखर जाते हैंमेरे सपने कांच की तरह होते हैंएकदम साफ़ और पारदर्शीदिख जाते है सबको मेरे सपनेमैं छिपाकर नहीं रख पाता इनकोइसलिए लोग खेलने लगते हैं इनसेऔर टूट जाते हैं मेरे...