हमारा प्रयास हिंदी विकास आइये हमारे साथ हिंदी साहित्य मंच पर ..

शुक्रवार, 8 जुलाई 2011

मोहब्बत.............रमन कुमार अग्रवाल'रम्मन'

परिंदा क़ैद में हैआशियाना देखता हैपरिंदा क़ैद में हैआशियाना देखता हैवो बंद आँखों सेसपना सुहाना देखता हैतू ही समझ न सका अहमियत मोहब्बतकीतेरे तरफ तो येसारा ज़माना देखता हैतू ही तबीब, तू ही रहनुमा तूही रहबरतेरे करमको तो सारा ज़माना देखता हैतू आशिकों का है आशिक़, ये शान हैतेरीतेरी मिसाल तू खुद हैज़माना देखता हैनवाज़ देना तू 'रम्मन'को भी मोहब्बत सेदीवाना मिलने का तेरेबहाना देखता...