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शुक्रवार, 3 दिसंबर 2010

दोहे - धरम के----(कवि कुलवंत सिंह)

शुद्ध धरम बस एक है, धारण कर ले कोय .इस जीवन में फल मिले, आगे सुखिया होय .सत्य धरम है विपस्सना, कुदरत का कानून . जिस जिस ने धारण किया, करुणा बने जुनून . अणु अणु ने धारण किया, विधि का परम विधान .जो मानस धारण करे, हो जाये भगवान .अंतस में अनुभव किया, जब जब जगा विकार .कण - कण तन दूषित हुआ, दुख पाये विस्तार . हिंदू, मुस्लिम, सिक्ख हो, भले इसाई जैन .जब जब जगें विकार मन, कहीं न पाये चैन .दुनियादारी में फंसा, दुख में लोट पलोट .शुद्ध धरम पाया नही, नित नित लगती चोट . मैं मैं की आशक्ति है, तृष्णा का आलाप .धर्म नही धारण किया, करता रोज विलाप .माया पीछे भागता,...