हवाओं में प्यार की खुशबू,बिखरी हुई है ,फिजाएं भी महकी,हुई है,खामोश रातें रौशन ,हुई हैं,चांदनी भी चंचल ,हुई है ,बूदें जैसे मोती,हुई हैं,सूरज की किरणें चमकीलीहुई हैं,बागों की कलियां खिल सी ,गयी हैं,अम्बर से घटाएं ,बहने लगी हैं,मिट्टी की खुशबू,फैली हुई हैं, चारो तरफजैसे इन सब को पता है कि-तुम आ चुकी हो,वापस आ चुकी हो।।द्वारा भेजा गया nee...