इंसान में इंसानियत सबसे ज़रूरी चीज़ है
इंसान वो जिसमें कहीं ,इंसानियत का बीज
मान प्रतिष्ठा पाकर अँधा होता जाता है इंसान
उसे पता क्या अनजाने ही बना जा रहा वो हैवान
मीठी बोली भूल गया हँसी ठिठोली भूल गया
मित्र कौन कैसे नाते सब हमजोली भूल गया
स्वार्थ साधना और खुशामद उसकी यही तमीज है
इंसान में .........................................................
जिस सीढ़ी ने उसे चढाया उस सीढ़ी को छोड़ दिया
जिन लोगों ने साथ निभाया उनसे मुंह को मोड़ लिया
पहन मुखौटा कोयल का कौए का सुर साध लिया
लोमड से चालाकी ली तोते का अंदाज़ लिया
ख़ुद...