हमको जानते हो... हम कौन हैं? जरा तमीज से बात करो हमसे वरना हम........छाप देंगे। क्या बात है। आज शहर हो या प्रदेश या फिर देश-दुनिया किसी भी स्थान पर देखने को मिल जाते हैं 'प्रेस' को अपने नाम के साथ जोडऩे वाले। प्रेस का मतलब इनके लिये किसी संस्थान में नौकरी करने वाला एक कर्मचारी नहीं बल्कि खुद प्रेस मालिक अर्थात अखबार वाला होता है। हर किसी से बोलने का लहेजा भी कुछ अलग होता है इनका। मेरा काम नहीं हुआ तो हम........छाप देंगे। सिर्फ इतना बोलने पर इन लोगों के बड़े से बड़े काम हो जाते हैं। ये लोग सिर्फ नाम से काम चलाते रहते हैं। अखबार तो कभी निकलता नहीं...